शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

हमारी भी तमन्नाएं है, हम अपने हुनर से वाकिब है ...

हमारी भी तमन्नाएं है, हम अपने हुनर से वाकिब है,
जिस ओर चला गया उसी ओर रास्ते बनाऊंगा,
अमित हूं जिंदगी की महक छोड़ जाऊंगा,
मैं डूब भी गया तो लहरे छोड़ जाऊंगा।।


मौका मिले तो आजमा लेना,
अच्छा लगे तो अपना लेना,
बुरा लगे तो माफ कर लेना,
फिक्र नहीं अच्छे बुरे की,
जिद हैं सपने पूरे करने की,
तोड़ा नहीं आज तक किसी का दिल,
चाहे हम पर आई हो मुश्किल।।

अमिट अध्याय जोड़ा सचिन ने

२४ फरवरी का दिन। समय लगभग शाम के ५.३० बजे, भारत और दक्षिण अफ्रीका के मध्य ग्वालियर में दूसरा वनडे इंटरनेशनल चल रहा है। करोड़ों लोगों की निगाहें क्रिकेट जगत के भगवान माने जाने वाले  सचिन पर टीकी हुई है। इसी बीच अंतिम ओवर की तीसरी गेंद फेंकी जाती है और सचिन एक रन के साथ सबसे अधिक रन  बनाने वाले खिलाड़ी बन जाते है। यह देखते हुए सिर्फ सपना लग रहा था। वह ऐसा अमिट अध्याय जोड़ कर पूरे भारत का नाम खेल जगत में उंचा किया। 
मैच के दौरान में जयपुर में था। जयपुर की हर गली में सचिन के मैच के अंतिम रन के बाद पटाखों की आवाज गूंज रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे आज दीवाली का त्योहार हो। हर कोई गौरवान्वित महसूस कर रहा था।  क्रिकेट प्रेमियों में धोनी को लेकर जरूर निराशा हुई। यदि धोनी स्ट्राइक सचिन को निरंतर देते रहते तो शायद सचिन २३० रनों के आस - पास व्यक्तिगत स्कोर खड़ा कर देते। मैंनेे भारतीय पारी की समाप्ति के बाद मेरे चचेरे भाई को मैसेज किया। उसका तुरंत कॉल आया और हैरानी से पूछने लगा मजाक क्यों कर रहे हो ? वन-डे में दोहरा शतक। मैंने कहा हमें मैच देखकर विश्वास नहीं हो रहा है तो तुम्हे सुनकर वास्तव में विश्वास नहीं होगा।