सोमवार, 22 अगस्त 2011

पुण्यविमलजी महाराज पर स्टोरी



दोस्तों ! १९७२ के बाद जैन समाज को पुण्य विमलजी महाराज के परिवार के बारे में जानकारी हासिल करने की लालसा थी। लेकिन उसके लिए किसी ने प्रयास नहीं किया। मैं एक दिन ऑफिस में बैठा था और इसी बात का ख्याल आ गया। मैंने तुरंत गुजरात के पाटन में दिव्य भास्कर से संपर्क किया। जहा मेरे बात जनक जी से हुई, जो काफी लम्बे समय से पत्रकारिता कर रहे है, उनको महाराज जी की जितनी जानकारी थी उतनी दी और बस जांच पड़ताल शुरू कर दी, लगभग बीस दिन लग गए इस खोज में, लेकिन हमें सफलता ठोस मिली। मुझे ज्यादा ख़ुशी तब हुई जब उनका परिवार कुछ दिनों पहले ही बनकोड़ा आया और जिन लोगों को यह शक था की यह स्टोरी कही गलत तो नहीं है उनको भी जवाब मिल गया। खैर यह तो अपने-अपने विचार है। मैं उन लोगों का आभार ू
व्यक्त करता हूं।  जिन्होंने मुझे मैसेज भेज प्रोत्साहित किया।