आतंकियों ने एक बार फिर अपने दांत दिखा दिए। देल्ही हाई कोर्ट परिसर में सात सितम्बर को हुई घटना ने सैकड़ों लोगों को जख्म दे दिए। कुछ ऐसे भी जो कभी नहीं भर सकते। सरकार हमेशा ऐसी घटनाओं के बाद मृतकों के परिजनों को सहायता रकम देकर शांत कर देती है। कुछ दिन विविध संगठनों की और से घटना की निंदा होती है। ..... और कुछ दिनों के बाद पीड़ितों को छोड़कर सभी भूल जाते है। कब तक हमारे देश में ऐसा चलेगा। क्या यहाँ इंसाफ न के बराबर है या यहाँ का प्रशासन इतना खोखला हो गया है की उसके पास आतंकियों को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं है। खोट तो यहाँ की सुरक्षा एजेंसियों में ही है। यह सोचने की बात है की इतने संसाधनों के बावजूद कोई शैतान बारूद और विस्फोटक पदार्थो के साथ कैसे हाई कोर्ट परिसर और संसद तक पहुंच सकता है। आखिर चुक कहा होती है। एअरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बंदरगाह और बड़े बड़े बस अड्डो्ं की सुरक्षा महज आम लोगों के समय को बर्बाद करने के लिए है। चंद रुपये की रिश्वत से भारत में आवाजाही के गेट खुल जाते है। ऐसे में हम यहाँ की सुरक्षा पर कैसे विश्वास कर सकते है।