सोमवार, 31 मई 2021

तंबाकू से मुक्ति के लिए ग्राम स्तर पर प्रोफाइल तय करना जरूरी

आज तम्बाकू निषेध दिवस है। हर साल की तरह एक दिन इस दिवस का प्रचार कर थम जाना उचित नहीं है। हमारा स्वास्थ्य ढांचा काफी हद तक तंबाकू जनित रोगों से प्रभावित हो रहा है। करोड़ो रुपए धूम्रपान से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव को सही करने के लिए फूंके जा रहे हैं। इसके लिए सरकारी तंत्र के साथ ग्राम स्तर पर जिम्मेदारियां तय करना आवश्यक है।

यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसमे एक-दो की भागीदारी से सफलता मिलना मुश्किल है। इसके लिए सामूहिक भागीदार होना अति आवश्यक है। तंबाकू जनित रोगों की जानकारी होने के बाद भी इसका उपयोग धड़ल्ले से होना दुर्भाग्य के सिवाय और कुछ नहीं है।

तंबाकू से मुक्ति के लिए अब वह समय आ गया है, जिसमे ग्राम स्तर पर जिम्मेदारियां तय की जाए। जनप्रतिनिधियों यथा सरपंच और पंच के कार्यों की प्रोफाइल में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को जोड़ा जाए। ताकि जिम्मेदारीपूर्वक कार्य हो सके।

दूसरी बात करे तो गावों में आज भी शिक्षक का सम्मान माता पिता जैसा ही होता है। ऐसे में शिक्षकों का भी सप्ताह में एक दिन ऐसा तय होना चाहिए कि वह तंबाकू नियंत्रण जैसे कार्यक्रमों का प्रचार घर-घर तक पहुँचाए। क्योकि शिक्षक ही एक ऐसा ओहदा है जो आम व्यक्ति के संपर्क में सरल सहज रूप में होता है। 

शिक्षक के साथ स्थानीय सरकारी कार्मिक जैसे ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, ग्राम सेवक, स्थानीय चिकित्सा स्टाफ भी जोड़ा जाए। ताकि यह एक ऐसा अभियान का रूप ले कि तंबाकू का चलन नहीँ के बराबर हो।

वैसे सरकार अभी भी प्रयास में कोई कमी नहीँ छोड़ रही। लेकिन इसके लिए आमजन की भागीदारी जब तक सुनिश्चित नही होगी, तब तक खामियां मिलती रहेगी। नियम बनाना जितना आसान है, उतनी उसकी पालना करवाना मुश्किल होता है। ऐसे में नियमों की पालना सबसे पहले आला पद पर बैठे लोग जरूर करें, ताकी वह दूसरों को प्रेरित कर सके। 

- अमित शाह, स्वतंत्र पत्रकार।