मानवता का संदेश दिया
अहिंसा की शिक्षा दी
जीवन का सार समझाया
ऐसी है मेरे महावीर की माया ।
राज पाट भी छोड़ दिया
सब जीवों को सम्मान किया
ज्ञान के लिए चुभन भरी राहों को भी पार किया
ऐसी है मेरे महावीर की माया ।
कुम्मार ग्राम में किया ध्यान
रस्सी लेकर पीछे दौड़ा ग्वाला
फिर भी नहीं छोड़ी तपस्या
ऐसी है मेरे महावीर के माया।
मोराग आश्रम में ली थी छाया
रोज झोपड़ी की घास खा जाती थी गाया
कुलपति को यह नहीं भाया
जहां हो उनसे दिक्कत वहां नहीं रहना, छोड़ दिया सहारा
ऐसी है मेरे महावीर की माया।
मक्कखाली पुत्र को मित्र बनाया
गुप्त चोर समझकर लोगों ने पकड़ा
फिर भी मन वचन से किसी को कष्ट नहीं पहुंचाया
ऐसी है मेरे महावीर की माया।
चंपा में बारहवा चौमासा बिताया
चंदनबाला ने दासी बनकर उपवास छुड़ाया
रुखा सुखा भोजन कर भी ज्ञान पाया
ऐसी है मेरे महावीर की माया।
जंबिया ग्राम में पहुंच गए
शाल वृक्ष के नीचे आसन लगाया
ज्ञान चक्षु खुल गए प्रकाश उन्होंने पाया
ऐसी है मेरे महावीर की माया।
पावापुरी में हुआ था जश्न
सोमाली ब्राह्मण ने किया था यज्ञ
विद्वानों ने पूछे थे महावीर से प्रश्न
उत्तर ऐसे दिए कि सब बन गए शिष्य
उन्हीं शिष्यों ने गणधर की उपाधि को पाया
ऐसी है मेरे महावीर की माया।
महावीर गए थे राजगृह
दर्शन को आए मेघ कुमार
महावीर के उपदेश सुनकर आत्म दृष्टि को पाया
राजपाट छोड़ उन्होंने भी शिष्य का वरदान पाया
ऐसी है मेरे महावीर के माया।
- @amitbankora
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