शनिवार, 6 मार्च 2010

आपके क्रोध में वो प्रेम है ...

आपके क्रोध में वो प्रेम है जो प्यार में नहीं,

तुम्हारी आखो में वो चमक है जो हीरे में नहीं,

तुम्हारे ह्रदय में वो महक है जो फूलो में नहीं,

तुम्हारे में वो आकर्षण है जो चाँद में नहीं,

प्यार टूटता भी है तो हिरा घूमता भी है,

फूलो की महक उडती भी है तो चाँद छिपता भी है,

मगर आपके इस सोंदर्य में

हर दीन हर रत हर पल चमक बढ़ती ही है,

चाहे आप क्रोध में हो या करुना में,

मगर आप सच में हो मेरी निगाहों में।।

जरूरत थी प्यार की...

जरूरत थी प्यार की मिल नहीं सका,
जरूरत थी खेलने की खेल नहीं सका,
जरूरत थी पढ़ने की पढ़ नहीं सका,
जरूरत थी पैसों की मिल नहीं सका,
बचपन गुजर गया जरूरत में ही,
अब कोशिश कर रहे हैं संभलने की,
हे! ईश्वर मैं फरियाद करता हूं,
मझे मिला या न मिला
इसकी परवाह नहीं करता हूं,
मगर दूसरों को भरपूर देना,
जिसकी कोई शिकायत नहीं करता हूं ।।

स्वागत है आपका मेरे द्वार ,
आपका ही था इंतजार,
यहाँ भी है एक छोटा सा संसार,
मत करना एतबार ।।