शनिवार, 6 मार्च 2010

आपके क्रोध में वो प्रेम है ...

आपके क्रोध में वो प्रेम है जो प्यार में नहीं,

तुम्हारी आखो में वो चमक है जो हीरे में नहीं,

तुम्हारे ह्रदय में वो महक है जो फूलो में नहीं,

तुम्हारे में वो आकर्षण है जो चाँद में नहीं,

प्यार टूटता भी है तो हिरा घूमता भी है,

फूलो की महक उडती भी है तो चाँद छिपता भी है,

मगर आपके इस सोंदर्य में

हर दीन हर रत हर पल चमक बढ़ती ही है,

चाहे आप क्रोध में हो या करुना में,

मगर आप सच में हो मेरी निगाहों में।।

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