शुक्रवार, 11 मार्च 2022

स्किल बढ़ाने के लिए औद्योगिक घरानों में सीधी नियुक्ति हो, सरकार सहयोग देकर कर सकती है प्रोत्साहित


हाल ही में सरकार की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि स्किल इंडिया के तहत प्रशिक्षण लेने और रोजगार पाने वालों में भारी गिरावट आई है। राज्यों ने इसे भले कोरोना की वजह मानी हो, लेकिन युवाओं में स्किल बढ़ाने के लिए सरकार को अब ऐसी योजनाओं के प्रारूप को बदलने की जरूरत है। सरकार स्वयं प्रशिक्षण देने के बजाए जरूरतमंद युवाओं को सीधे देश के औद्योगिक घरानों से जोड़ सकती है। इससे काम भी ईमानदारी से होगा और प्रशिक्षण के मायने भी सही साबित होंगे। फिलहाल स्किल बढ़ाने के लिए राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, सभी स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ समझौता कर युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम कर रही है। फिर रोजगार के लिए अलग से मशक्कत करनी पड़ती है। यदि प्रशिक्षण ही औद्योगिक घरानों से शुरू हो तो इसका डबल फायदा मिलेगा। जहां प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वहीं पर रोजगार का अवसर मिल सकता है। इसमें से यह तय है कि जो भी अपनी स्किल को उस कपंनी की जरूरत के अनुसार बढ़ाएगा वह सबसे पहले वहां स्थायी रोजगार पाने का हकदार बन जाएगा। इसके लिए सरकार को ऐसी स्किम लान्च करनी चाहिए कि वह प्रशिक्षण के लिए उस औद्योगिक क्षेत्र को सहयोग करें। प्रशिक्षण की निश्चित अवधि तय कर उस दौरान सरकार फंड औद्योगिक घरानों को अदा करें। ताकी निजी कंपनियां भी खुशी-खुशी बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हो जाएगी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में पिछले चार साल में 90 फीसदी तक गिरावट आई है। यह आंकड़े वाकई चौकाने वाले है। एक तरफ जहां बेरोजगारी चरम पर है, वहीं दूसरी ओर प्रशिक्षण के रूझान में कमी दिख रही है। इसमें दो बातें सामने आती है। पहली या तो युवाओं को इन प्रशिक्षणों के माध्सम से रोजगार के अवसर की उम्मीद नहीं है। दूसरा यह हो सकता है कि इन प्रशिक्षणों की क्वालिटी युवाओं को रास नहीं आ रही हो। हालांकि यह महज कयास है। क्योंकि सरकार ने इसे कोरोना की वजह माना है। 

असल में जो भी हो, लेकिन अब ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन पर मंथन करना जरूरी है। यहां हम सिर्फ दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना की बात नहीं कर रहे, बल्की उन तमाम योजनाओं के बारे में मंथन आवश्यक है जो रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायक है। औद्योगिक घराने प्रशिक्षित कार्मिकों की मांग इसलिए करते है ताकी वह उनक कार्मिक का उपयोग पहले दिन से ही कर सके। वह आउटपुट देखना चाहते है। इस क्षेत्र में प्रशिक्षण देने का वक्त नहीं है। क्योंकि कोई भी निजी क्षेत्र व्यर्थ का वेतन देना नहीं चाहेगा। इसलिए सरकार यदि प्रशिक्षण निजी औद्योगिक घरानों में ही कराने की व्यवस्था करें तो बेहतर हो सकता है। इससे कार्यक्रम की क्वालिटी भी बनी रहेगी। 


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