रविवार, 15 सितंबर 2024

पार्थवी

तीन माह की बिटिया, प्यारी सी पार्थवी,
रोटी की तरह नरम, जैसे चाँद की नवी।
जब हंसती है वह, सबको भाए रंग,
नवीनता देख आँखों में भरे आनंद का संग।

पापा को देख वह फैलाए हाथ,
जाए पास उनके, करे प्यार की बात।
झूले पर लटके शेर को सहलाए,
बातों में खोई, वो है खुशियों की सौगात।


गाने की धुन सुन, गंभीर हो जाए,
मधुर सुरों में खोकर, धीरे-धीरे मुस्कुराए।
छोटा बच्चा क्या करता, खेलता वो लोट,
नन्हे कदमों से वो, सजाए जीवन की रोट।

पार्थवी की हर अदा, हर बात है खास,
उसकी मासूमियत में छिपा सारा आकाश।
आओ मिलकर हम उसकी खुशी मनाएं,
हर लम्हा उसके संग, सदा मुस्कुराएं।

- अमित शाह

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