भारतीय सिनेमा को वर्तमान समय में प्रेम प्रसंग और हास्य सम्बंधित विषयों ने घेर लिया है। आज की फिल्मे प्रेम की पृष्ठभूमि पर ही अधिक बन रही है। पारिवारिक और सामाजिक फिल्मो का दौर पूर्णतया समाप्त हो चूका है। यह काफी चिंता का विषय है की आज हमारे सिनेमा में जमीन से जुडी फिल्मो का चलन बंद हो गया है।
पहले त्योहारो , भाई बहिन विशेषकर माँ को केंद्र में लेकर फिल्मो का निर्माण होता था। हिंदुस्तान में माँ का महत्व दुसरे देशो से कुछ अलग ही है। हमारे जहन में हमेशा माँ बसी रहती है। हमारा पहला शब्द ही माँ होता है। भारतीय सिनेमा में माँ को लेकर कई फिल्मो का निर्माण हुआ है। लेकिन पिछले कुछ सालो से माँ को हमारे सिनेमा में जगह नहीं मिल रही है। फिल्म में माँ को आशीर्वाद देने तक बताया जाता है इसके बाद पूरी फिल्म में प्यार व्यार चलता रहता है ।
सिनेमा के युग में काफी परिवर्तन हुए है । जिस तरह वैश्वीकरण बढ़ा है उस तरह फिल्मो में बदलाव को देखा गया है। आज की फिल्मो में वाकई करण अर्जुन की माँ गायब हो गई है।फिलहाल निर्माताओ को माँ को केंद्र में रखकर फिल्मो के निर्माण की आवश्यकता है ताकी हमारा जीवन और आने वाले वर्षो में माँ का महत्व और बड़े ।
प्रेरक : जय प्रकाश जी ।
बुधवार, 18 अगस्त 2010
बुधवार, 28 जुलाई 2010
रविवार, 18 अप्रैल 2010
नक्सलवाद
नक्सलवाद विष की गाठ बने हुए है । उन्होंने भारत में कई कोखे उजाड़ने का काम किया है । इसके बावजूद भी हमारी सरकार खाक छानती नज़र आती है । नक्सलवाद आज भारत की प्रमुख समस्या है । उनसे शांति प्रिय बात करने से हमें कोई फायदा नहीं होने वाला है । नक्सलियों के सामने यह कहावत नज़र आती है "अंधे के आगे रोवे अपने दी दे खोवे" । उनके साथ अब सरकार को सख्ती से पेश आना होगा । उनको छठी का दूध याद दिलाने के लिए हमें अपना रंग जमाना ही होगा, तभी यह धुल में मिल सकते है। सरकार को आर पार की लड़ाई लड़नी होगी । नक्सलवाद से जुड़े हर सख्स से सामना करना होगा ।
रविवार, 11 अप्रैल 2010
वाह रे सानिया
भारतीय टेनिस खिलाडी सनसनी सानिया मिर्जा का १५ अप्रैल को निकाह हो जाएगा । पूरा देश इस नजारे को देखेगा और सानिया कुछ ही पलों में पाक की बहु बन जाएगी। भारत ने सानिया को वह दिया जो उसने सोचा भी नहीं होगा। परन्तु मिर्जा ने कुछ ही समय में कराड़ों भारतीयों का दिल तोड़ दिया । अब भारतीयों के अंदर सानिया की छवि खलनायक की बनी हुई है। अब सब यह जानना चाहते है की वह टेनिस भारत के लिए खेलेगी या पाक के लिए। हालांकि उसके परिवार वाले हमेशा कह रहे हंै की वह भारत के लिए ही खेलेगी, लेकिन विश्वास नहीं हो रहा। मिर्जा का जब भी न्यूज पेपरों में फोटो छपता है तो युवा उसकी कतरन अपने पास रखते हैं, आज वहीं युवा अखबार जलाकर उसका विरोध कर रहे हैं। आज पूरा भारत हैरत में है। सानिया ने पाक का दूल्हा क्यों पसंद किया। हो सकता है भारत में अधिक जनसंख्या के कारण सानिया को दूल्हा खोजेने में कठनाई आ रही हो। कभी-कभी यह टीवी वाले भी गलती कर बैठते हंै स्वयंवर शो में राखी सावंत और राहुल महाजन की बजाए सानिया को लाना चाहिए था, ताकि सानिया को भारत में ही दूल्हा मिल जाता और उन्हें पाक तक नहीं जाना पड़ता। पिछले कुछ वर्षांे से हम भी सानिया को पसंद करते थे। वजह यह नहीं की वह स्टार खिलाड़ी है, वजह यह थी की हमारा जन्म एक ही दिन हुआ है, और हमारा समय भी एक है । बस फर्क इतना की वह दिन को और हम रात को...।
शनिवार, 6 मार्च 2010
आपके क्रोध में वो प्रेम है ...
आपके क्रोध में वो प्रेम है जो प्यार में नहीं,
तुम्हारी आखो में वो चमक है जो हीरे में नहीं,
तुम्हारे ह्रदय में वो महक है जो फूलो में नहीं,
तुम्हारे में वो आकर्षण है जो चाँद में नहीं,
प्यार टूटता भी है तो हिरा घूमता भी है,
फूलो की महक उडती भी है तो चाँद छिपता भी है,
मगर आपके इस सोंदर्य में
हर दीन हर रत हर पल चमक बढ़ती ही है,
चाहे आप क्रोध में हो या करुना में,
मगर आप सच में हो मेरी निगाहों में।।
जरूरत थी प्यार की...
जरूरत थी प्यार की मिल नहीं सका,
जरूरत थी खेलने की खेल नहीं सका,
जरूरत थी पढ़ने की पढ़ नहीं सका,
जरूरत थी पैसों की मिल नहीं सका,
बचपन गुजर गया जरूरत में ही,
अब कोशिश कर रहे हैं संभलने की,
हे! ईश्वर मैं फरियाद करता हूं,
स्वागत है आपका मेरे द्वार ,
आपका ही था इंतजार,
यहाँ भी है एक छोटा सा संसार,
मत करना एतबार ।।
जरूरत थी खेलने की खेल नहीं सका,
जरूरत थी पढ़ने की पढ़ नहीं सका,
जरूरत थी पैसों की मिल नहीं सका,
बचपन गुजर गया जरूरत में ही,
अब कोशिश कर रहे हैं संभलने की,
हे! ईश्वर मैं फरियाद करता हूं,
मझे मिला या न मिला
इसकी परवाह नहीं करता हूं,
मगर दूसरों को भरपूर देना,
जिसकी कोई शिकायत नहीं करता हूं ।।
स्वागत है आपका मेरे द्वार ,
आपका ही था इंतजार,
यहाँ भी है एक छोटा सा संसार,
मत करना एतबार ।।
शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010
हमारी भी तमन्नाएं है, हम अपने हुनर से वाकिब है ...
हमारी भी तमन्नाएं है, हम अपने हुनर से वाकिब है,
जिस ओर चला गया उसी ओर रास्ते बनाऊंगा,
अमित हूं जिंदगी की महक छोड़ जाऊंगा,
मैं डूब भी गया तो लहरे छोड़ जाऊंगा।।
मौका मिले तो आजमा लेना,
जिस ओर चला गया उसी ओर रास्ते बनाऊंगा,
अमित हूं जिंदगी की महक छोड़ जाऊंगा,
मैं डूब भी गया तो लहरे छोड़ जाऊंगा।।
मौका मिले तो आजमा लेना,
अच्छा लगे तो अपना लेना,
बुरा लगे तो माफ कर लेना,
फिक्र नहीं अच्छे बुरे की,
जिद हैं सपने पूरे करने की,
तोड़ा नहीं आज तक किसी का दिल,
चाहे हम पर आई हो मुश्किल।।
बुरा लगे तो माफ कर लेना,
फिक्र नहीं अच्छे बुरे की,
जिद हैं सपने पूरे करने की,
तोड़ा नहीं आज तक किसी का दिल,
चाहे हम पर आई हो मुश्किल।।
अमिट अध्याय जोड़ा सचिन ने
२४ फरवरी का दिन। समय लगभग शाम के ५.३० बजे, भारत और दक्षिण अफ्रीका के मध्य ग्वालियर में दूसरा वनडे इंटरनेशनल चल रहा है। करोड़ों लोगों की निगाहें क्रिकेट जगत के भगवान माने जाने वाले सचिन पर टीकी हुई है। इसी बीच अंतिम ओवर की तीसरी गेंद फेंकी जाती है और सचिन एक रन के साथ सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बन जाते है। यह देखते हुए सिर्फ सपना लग रहा था। वह ऐसा अमिट अध्याय जोड़ कर पूरे भारत का नाम खेल जगत में उंचा किया।
मैच के दौरान में जयपुर में था। जयपुर की हर गली में सचिन के मैच के अंतिम रन के बाद पटाखों की आवाज गूंज रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे आज दीवाली का त्योहार हो। हर कोई गौरवान्वित महसूस कर रहा था। क्रिकेट प्रेमियों में धोनी को लेकर जरूर निराशा हुई। यदि धोनी स्ट्राइक सचिन को निरंतर देते रहते तो शायद सचिन २३० रनों के आस - पास व्यक्तिगत स्कोर खड़ा कर देते। मैंनेे भारतीय पारी की समाप्ति के बाद मेरे चचेरे भाई को मैसेज किया। उसका तुरंत कॉल आया और हैरानी से पूछने लगा मजाक क्यों कर रहे हो ? वन-डे में दोहरा शतक। मैंने कहा हमें मैच देखकर विश्वास नहीं हो रहा है तो तुम्हे सुनकर वास्तव में विश्वास नहीं होगा।
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